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सावित्रीबाई फुले
सावित्रीबाई फुले (1831-1897) एक प्रमुख समाज सुधारक और शिक्षाविद थीं, जिन्होंने भारतीय समाज में महिला शिक्षा और जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष किया। उनकी जीवन कहानी भारतीय समाज की सदीभर पुरानी सामाजिक मान्यताओं और कुरीतियों को चुनौती देती है। यहाँ सावित्रीबाई फुले की पूरी जीवन कहानी की हिंदी में जानकारी दी गई है:
प्रारंभिक जीवन
- जन्म: सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था।
- परिवार: उनके माता-पिता नाम जीवा-खुशी ने सावित्रीबाई का नाम रखा। वे एक निचली जाति के परिवार से थीं, जो उस समय के जातिवादी समाज में निम्न स्थिति में थे।
विवाह और प्रारंभिक शिक्षा
- विवाह: सावित्रीबाई का विवाह 1840 में 9 वर्ष की आयु में ज्योतिराव फुले से हुआ। ज्योतिराव फुले, जो खुद एक समाज सुधारक थे, ने सावित्रीबाई को शिक्षा की दिशा में प्रोत्साहित किया।
- शिक्षा: सावित्रीबाई ने 1851 में पुणे के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की। वे सवर्णों के लिए विशेष रूप से स्कूलों की कमी और महिलाओं की शिक्षा की स्थिति को लेकर चिंतित थीं।
सामाजिक सुधार और शिक्षा
- शिक्षा की शुरुआत: सावित्रीबाई और उनके पति ने मिलकर 1848 में पुणे में पहली महिला स्कूल की स्थापना की। यह स्कूल निचली जातियों की महिलाओं के लिए खोला गया था।
- उपलब्धियाँ: उन्होंने समाज में शिक्षा और सामाजिक सुधार को बढ़ावा देने के लिए कई विद्यालय खोले और महिलाओं को शिक्षा देने में अग्रणी भूमिका निभाई। उनके कार्यों से पहले महिलाओं की शिक्षा पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था।
- सामाजिक सुधार: सावित्रीबाई ने जातिवाद और स्त्री-शोषण के खिलाफ भी मुखर होकर आवाज उठाई। उन्होंने विधवाओं की स्थिति सुधारने के लिए भी प्रयास किए और सती प्रथा के खिलाफ संघर्ष किया।
कठिनाइयाँ और संघर्ष
- विरोध: सावित्रीबाई और उनके पति के प्रयासों को कई जगह विरोध का सामना करना पड़ा। जातिवादी और पितृसत्तात्मक समाज ने उनकी गतिविधियों का विरोध किया और कई बार उन पर हिंसा भी की गई।
- व्यक्तिगत संघर्ष: व्यक्तिगत जीवन में भी सावित्रीबाई ने कई कठिनाइयों का सामना किया। समाज के कई हिस्सों ने उन्हें स्वीकार नहीं किया और उनके प्रयासों को बाधित करने की कोशिश की।
अंतिम दिन और विरासत
- मृत्यु: सावित्रीबाई फुले का निधन 10 मार्च 1897 को हुआ। उनकी मृत्यु के समय तक उन्होंने समाज सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में अपार योगदान दिया था।
- विरासत: आज भी सावित्रीबाई फुले को भारतीय समाज के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है। उनकी शिक्षा और समाज सुधार के प्रयासों ने महिलाओं के अधिकार और समाज में समानता की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सावित्रीबाई फुले का जीवन और कार्य भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने न केवल महिलाओं की शिक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि जातिवाद और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज उठाई। उनकी शिक्षाओं और प्रयासों से भारतीय समाज में एक नई चेतना का संचार हुआ।
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