google-site-verification=F8eHpyqxq6hhCZcFSgQy31y-PALrPAsOX9l6b0UZ52k डॉ. भीमराव अंबेडकर Skip to main content

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गौतम बुद्ध

 गौतम बुद्ध का जीवन अत्यंत प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद है। उनका जीवन एक ऐसे मार्गदर्शक की कहानी है जिसने मनुष्य को दुखों से मुक्ति पाने का मार्ग दिखाया। यहाँ गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं का संक्षिप्त विवरण दिया गया है: 1. जन्म और प्रारंभिक जीवन: गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था। उनका जन्म राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में एक शाक्य राजा शुद्धोधन और रानी माया देवी के घर हुआ। सिद्धार्थ का पालन-पोषण अत्यंत सुख-सुविधाओं के बीच हुआ। उन्हें सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से बचाने के लिए उनके पिता ने उन्हें महल के बाहर जाने से रोक दिया था। 2. चार दृष्टांत: जब सिद्धार्थ 29 वर्ष के थे, तब उन्होंने महल के बाहर जाने का निर्णय लिया। वहाँ उन्होंने चार प्रमुख दृश्य देखे जिन्होंने उनके जीवन को बदल दिया: एक बूढ़ा व्यक्ति: उन्हें पहली बार वृद्धावस्था का सामना करना पड़ा। एक बीमार व्यक्ति: उन्होंने पहली बार बीमारी को देखा। एक मृत व्यक्ति: उन्होंने पहली बार मृत्यु देखी। एक सन्यासी: एक तपस्वी को देखकर उन्हें अहसास हुआ कि सांसारिक जीवन के दुखों से मुक्...

डॉ. भीमराव अंबेडकर

डॉ. भीमराव अंबेडकर (1891-1956) भारतीय समाज के प्रमुख समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ, और संविधान निर्माता थे। उन्होंने भारतीय समाज में जातिवाद के खिलाफ संघर्ष किया और दलितों के अधिकारों के लिए अथक प्रयास किए। यहाँ डॉ. भीमराव अंबेडकर का पूरा जीवन इतिहास हिंदी में प्रस्तुत है:

प्रारंभिक जीवन

  • जन्म: डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू गांव में हुआ था। वे एक महार जाति के परिवार में पैदा हुए, जो उस समय के जातिवादी समाज में निम्न माने जाते थे।
  • परिवार: उनके पिता का नाम रामजी मालोरो और मां का नाम भीमाबाई था। उनके पिता भारतीय सेना में एक छोटे अधिकारी थे।

शिक्षा और प्रारंभिक संघर्ष

  • शिक्षा: अंबेडकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों में प्राप्त की। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई गए और वहां उन्होंने कानून और राजनीति में अपनी शिक्षा जारी रखी।
  • संसारिक संघर्ष: अंबेडकर को जातिवाद और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिससे उन्होंने समाज सुधार की दिशा में काम करने का संकल्प लिया।

विदेश में शिक्षा

  • ब्रह्मा विद्या: अंबेडकर ने अपनी उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका और ब्रिटेन का दौरा किया। वे कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर (M.A.) और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कानून और समाजशास्त्र में डिग्री प्राप्त की।

राजनीतिक और सामाजिक सुधार

  • सामाजिक संघर्ष: अंबेडकर ने जातिवाद और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और भारतीय समाज में समानता के लिए कई पहल की। उन्होंने 'अछूतों' और अन्य सामाजिक शोषित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
  • राजनीतिक कार्य: 1920 में अंबेडकर ने 'यंग मेंस क्रिस्टियन एसोसिएशन' (YMCA) की सदस्यता ली और भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आलोचक थे और अपनी अलग पहचान बनाए रखी।

भारतीय संविधान निर्माण

  • संविधान सभा: अंबेडकर को 1947 में भारतीय संविधान की drafting committee का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने भारतीय संविधान को एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, और समाजवादी दृष्टिकोण से तैयार किया।
  • संविधान का योगदान: डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान में समानता, न्याय, और स्वतंत्रता के मूलभूत सिद्धांतों को शामिल किया। उन्होंने जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ मजबूत प्रावधान किए।

धार्मिक परिवर्तन

  • बौद्ध धर्म अपनाना: अंबेडकर ने 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया और अपने हजारों अनुयायियों को भी बौद्ध धर्म की ओर प्रेरित किया। उन्होंने जातिवाद और सामाजिक असमानता के खिलाफ अपने जीवन को समर्पित किया।

अंतिम दिन और विरासत

  • मृत्यु: डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ। उनकी मृत्यु के समय तक उन्होंने भारतीय समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाए थे।
  • विरासत: डॉ. अंबेडकर को भारतीय समाज में एक प्रमुख सुधारक और संविधान निर्माता के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनकी शिक्षाएँ और विचार आज भी भारतीय समाज के कई पहलुओं पर प्रभावी हैं।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन संघर्ष और समाज सुधार की एक प्रेरणादायक कहानी है। उन्होंने भारतीय समाज को समानता, न्याय, और मानवाधिकारों के प्रति जागरूक किया और उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी समाज के विभिन्न वर्गों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

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